हमें अक्सर यह गुमान होता है, की जो कुछ हमें मिला है, या जो कुछ हमने पाया है, वो हमारी मेहनत और अक्ल का ही परिणाम है, मेहनत और अक्ल तो लगती ही है, इसमें कोई शक नहीं, लेकिन इन्सान को घमंड नहीं होना चाहिए क्योकि देने वाला वह एक परमात्मा है, न जाने कौन से हमारे कर्मो का फल हमें मिलता है, या किसकी दुआ से हमें मिलता है, हमें मालूम नहीं पड़ता बस यही इन्सान की समस्या है, की कुछ मिल भर जाये गर्दन अकड़ जाती है, सीना तन जाता है, हम अपने आप को पता नहीं क्या समझ लेते है, बस यही से हमारा पतन भी शुरू हो जाता है, इसलिए में मेरी से, घमंड से, अहंकार से हमें बचना है, क्योकि बड़े बड़े ज्ञानी भी अहंकार की मार से बच नहीं पाए. आईये सुनते है, एक बढ़िया कहानी जो इस प्रकार है,