यह तो raah बड़ी अति टेडी मन के साथ न पड़ना. बहुत सही है, कियोकी हमारा सबसे बड़ा दुश्मन मन ही, है, जो समझने नहीं देता, सही raah पकरने नहीं देता. बड़ा बेरी यह मन घट में इस ही का जितना कठिना, परो तुम इस ही के पीछे, और सब ही जतन तजना. इस संसार में सोच समझ जरूरी है, मिली नर देह तुमको बनाओ काज कुछ अपना. पचो मत आये इस जग में जानियो रेन का सुपना. एक और जगह फरमाते है, जो तुम पिया से मिलाना चाहो तो भटको मत जग में . हम भटक जाते है, मन हमें भटका देता है. कबीर साहिब जी के वचन -कबीर मन मेला भय या में बहुत विकार . यह में कैसे धोइए साधो करो विचार. यह मन किसको नहीं छोड़ता, सुर नर मुनि सब को ठगे मनही लिया अवतार, जो कोई या ते बचे तीन लोक ते न्यार. इसलिय कहा गया कोट जतन से यह नहीं माने, धुन सुन कर मन समझाई. (नोट साईट अंडर प्रिपरेशन सो लोट ऑफ़ मिस्टेक्स एंड करेक्शन नीडेड. )भोजल धार बहे अति गहरी बिन गुरु कैसे पार उतरना. गुरु से प्रीत करो तुन ऐसी जस कामी कमिं संग धरना. बिना गुरु और शब्द सूरत कोई न उतरे भोपारा . बिन गुरु सतगुरु कौन है जो करे निबेड़ा . मत को भरम भूले संसार बिन गुरु कोई न उतरे पार. प्रीत प्रतीत गुरु की करना नाम रसायन घट में जरना. ऐसी प्रीत करहो मन मेरे आठ पहर प्रभ जानहु नेरे ( श्री गुरु अर्जुन देव जी ). जिन प्रेम कियो तिन ही प्रभ पायो. (श्री गुरु तेग बहादुर जी ) सूफी दरवेश जी ने कहाः लख बारी जे करे इबादत कदे न बने नमाजी, जे कर प्यार न होसी पल्ले, रब न होसी राजी. ३. संग करो चेटक चित राखो मन से गुरु के चरण पकरना . छल, बल कपट छोड़ कर बरतो, गुरु के बचन समझना. नानक जिनको सतगुरु मिलिया तिन का लेखा NIBADYA( तीसरी पातशाही ) गुरु सब कुछ है, गुरु तीरथ गुरु पारजात गुरु मनसा पुरन हार . गुरु दाता हर नाम देई उधरे सभ संसार. बिना करम किसी मुर्शिद रसीदा के राहे निजात दूर है, उस पार देखना. (तुलसी साहिब ) राधा स्वामी धरा नर रूप जगत में, गुरु होय जिव चिताए . जिन जिमाना बचन समझ के तिन को संग लगाये. CHAL बल छोडो और चतुराई कियो PADO तुम कुमत में, सुमिरन करो गुरू को सेवो चल रहो आज गगन में. ४. डरते रहो काल के भय से, खबर नहीं कब मरना सवासो स्वास होश कर बोरे पल पल नाम सुमिरना . भजो गोविन्द भूल मत जाहो मानस जनम का एही लाहो, कबीर साहिब जी, भयी परापत मनुख देहुरिया ..श्री गुरु अर्जुन देव जी. मौत से डरते रहो दिन रात, एक दिन भरी भीड़ पड़ेगी जैम खुदेंगे घर धर लात. कल की खबर काल फिर लेगा वंहा तुम जलो अगन में. ५ यंहा की गफलत बहुत सतावे, फिर आगे कुछ नहीं बन पडना, जो कुछ बने सो अभी बनाओ फिर का कुछ न भरोसा धरना. काल करे सो आज कर (कबीर जी ) अब न भजस .., आज कहे में काल भाजुंgaa , काल कहे फिर काल, लख ८४ जोन SABAI..गुरु अर्जुन देवजी. ६. जग सुख की कुछ चाह न राखो, दुख में इसके दुउखी न रहना, दुःख की घडी गनीमत जानो, नाम गुरु का CHIN (२) भजना . अब या को बिरथा मत खोवो चेतो CHIN CHIN भक्ति कमावो . जगत जाल में फासो न भाई, निस दिन रहो भजन में. साध गुरु का कहना मानो, रहो उदास जगत में. ७ सुख में गाफिल रहत सदा नर मन तरंग में दम दम बहना, ताते चेट करो सत्संग दुःख सुख नदिया पार उतरना. अधूरे सुख, पूर्णता नहीं. मूर्तिकार का वर्तन्त. जो दिन गया सो जाने दे मुर्ख अजहू चेत, कहता PALTU दास है, कर ले हरी से चेत. शब्द करम के रेख KATAAVE, शब्द शब्द से जाये मिलअवे . ८. अपना रूप लाखो घट भीतर, फिर आगे को सूरत भरना. राधा स्वामी कहे भुजायी शब्द गुरु से जाकर मिलना. गुरु का रूप नैन में धरना सूरत शब्द से नभ पर CHADNA, राधा स्वामी नाम सुमिरन जो वह कहे चित में धरना . मन मलिन के कहे न चलना गुरु का बचन हिये विच रखना. तुध बिन होर जी मगना सर दुख के दुःख, देह नाम संतोखिया उतरे मन की भूख. (श्री गुरु अर्जुन देव जी )
यंहा तुम समझ सोच कर चलना.
यह तो raah बड़ी अति टेडी मन के साथ न पड़ना. बहुत सही है, कियोकी हमारा सबसे बड़ा दुश्मन मन ही, है, जो समझने नहीं