कुमतिया बैरन पीछे पड़ी में कैसे hatau जान, सतगुरु वचन न माने कब ही उन संग धरे गुमान. यह तन दुर्लभ तुमने पाया कोट जनम भटका जब खाया. अब या को बिरथा मत खोवो चेतो chin chin भक्ति कमावो . भक्ति करो तो गुरु की करना मार्ग शब्द गुरु से लेना. शब्द मार्गी गुरु न्होवे तो झूठी गुर वाई लेवे . गुरु सोई जो शब्द स्नेही शब्द बिना दुसर नहीं सेई . शब्द कमावे सो गुरु पूरा उन चरनन की होजा धुरा. और पहचान करो मत कोई, लक्ष अलक्ष न देखो कोई. शब्द भेद लेकर तुम उनसे, शब्द कमाओ तुम तन मन से. यह सुख चार दिनों का भाई, फिर दुःख सदा होय दुखदाई . गुरु की पूजा में सबकी पूजा जस समुद्र सब नदी समाजा. कहना मेरा अब मानो , नहीं अंत को पड़े पछतानो . गुरु करो खोज कर भाई, बिन गुरु कोई raah नहीं पाई . जग डूबा भोजल धारा, कोई मिला न काढन हारा. गुरु की कर हरदम पूजा गुरु सामान कोई देव नहीं दूजा. सतगुरु का नाम पुकारो सतगुरु को हियरे धारो . सतगुरु का करो भरोसा , फिर करो न कुछ अफसोसा. सतगुरु कहे करो तुम सोई, मन के कहे चलो मत कोई. आज सखी काज करो कुछ अपना. गुरु दर्श तको छोड़ो जग सुपना. नहीं पchतहइहो सीर धुन रोईहो, जम की नगरिया अनेक दुःख सहिहो. गुरु के चरण का कर तू ध्यान शान गुमान छोड़ अभिमान . गुरु बिन तेरा कोई न सहाई , नाम बिना को पार लगाई. आज काज कर गुरु संग भाज , सुना पड़ा तेरा तखत और ताज, शब्द पिछान सूरत निज साज , छोड़ जगत और कुल की लाज . नैन कवल गुरु ताक़, ओ मन भवरअ , तू निर्मल सीतल होय सुन अनहद घोरअ . गुरु को तुम मानुष मत जानो, वे है सत्पुरुष की जान. तेरा काज उन्ही से होगा मत भटके तू तज अभिमान. जो अबके तू गुरु से चूका , तो भर्मेगा चारो खान . गुरु का ध्यान कर प्यारे, बिना इस के नहीं छुटना. नाम के रंग में रंग जा मिले तोही धाम निज अपना. गुरु की सरन drir कर ले बिना इस काज नहीं सरना . लाभ और मान क्यों चाहे, पड़ेगा फिर तुझे देना. करम जो जो करेगा तू, वही फिर भोगना भरना. जिन्होंने मार मन डाला, उन्ही को सुरमा कहना. बड़ा बेरी यह मन घट में इसी का जीतना कठिना . पड़ो तुम इस ही के पीछे और सभी जतन तजना. मान दो बात यह मेरी , करे मत और कुछ जतना. हार जब जाए मन तुझसे चड़ा दे सूरत को गगना. कहे राधासोमी समझाई गहो अब नाम की सरना.