तीज त्यौहार, केवल फन नहीं, बल्कि आपसी मिलन, भाईचारा, शेयरिंग व् केयर के सिधांत पर बने है, भले ही हम आज उनको अनदेखा कर रहे है, लेकिन इनका महत्व नहीं समझ रहे है, ये त्यौहार हमें बहुत कुछ मुफ्त में दे जाते है, बहुत कुछ दुःख दर्द मिट जाते है, बहुत सा प्यार और दुलार दे जाते है. बड़ो को पैर पड़ना हमें हमारी संस्कृति से कनेक्ट करता है, हमें आशीर्वाद मिलता है, यह कोई ब्लाइंड कस्टम नहीं है, बल्कि साइंटिफिक कस्टम है, रामायण में प्रसंग आता है, जब रावन नीचे गिर पड़ता है, अंतिम समय पर भगवन राम laxman से कहते है, उनसे कुछ सीख प्राप्त करो, laxman रावण के सर की और जा खड़ा होता है, भगवान् कहते है, laxman ऐसे नहीं, उनके चरणों की और जाओ तो कुछ मिलेगा. बहुत सी परंपरा हमें कई वैल्यूज सिखाती है, deep विजडम देती है, यह जरूर है, समय के साथ थोडा बहुत बदलाव आ ही जाता है, लेकिन बेसिक्स वो ही होते है. मॉडर्न लाइफ ख़राब नहीं, लेकिन हमें सिर्फ दौर धुप नहीं करनी, समझदारी से काम लेना है. बड़े बुजर्गो की सीख को आत्मसात करने की जरूरत है, उनकी सीख में बहुत सीखने को होता है उनका एक्सपीरियंस होता है. बड़ो के प्रति श्रधा, प्रेम , विश्वास, सम्परण आदि की बहुत आवश्यकता है.