मनुष्य जन्म लेता है, उसे पता नहीं होता की वह आखिर इस दुनिया में क्यों आया है, उसे तो यह भी पता नहीं होता की वह आया कहा से और उसे जाना कहा है, (तू किथो आया और किधर है जाना दस ठिकाना), अद्यात्म की दृष्टि से देखे तो उसको जनम दिया गया है, ऊपर से देखे तो माता पिता ने दिया है, लेकिन गहरे जाये तो पाते है, परम पिता परमेश्वर ने उसे जनम दिया है, फिर उसका एक ख़ास उद्देश्य भी है, (भई, परापत मनुख देहुरिया गोविन्द मिलन की एह तेरी बरिया ,श्री गुरु अर्जुन देवजी ), और अगर हमें यह जनम प्राप्त हुआ है, तो इसका मकसद क्या है, रुपया पैसे कमाना या दुनिया के अन्य काम करना और चले जाना. तो श्री गुरु अर्जुन देवेजी फरमाते है, अवर काज तेरे किते न काम मिल साध सगत भज केवल नाम. श्री कबीर साहिब जी भी कहते है, भजो गोविन्द भूल मत जाहो मनुख जनम का एही लाहो. इसी तरह paltu साहिब, और सभी संत महत्मा मनुष्य जनम का एक ही मकसद बताते है, तभी तो श्री गोस्वामी तुलसीदास जी कहते है, बड़े भाग मानुष तन पावा, सुर दुर्लभ सभ ग्रंथन गावा.
मनुष्य जन्म लेता है, उसे पता नहीं होता की वह आखिर इस दुनिया में क्यों आया है, उसे तो यह भी पता नहीं होता की