क्या जिंदगी केवल एक खवाब है, (एपिसोड one )
जिंदगी को किसी ने सपना समझा, किसी ने खाने पीने और मौज मस्ती का मौका तो किसीने उसे घुमने फिरने और जानने का जरिया समझा. अलग अलग लोगो की अलग समझ तो बनेगी, क्योकि हर एक का दृष्टिकोण अलग अलग ही होगा , जैसा हम बचपन से देखते है, सीखते है, वातावरण में ढलते है, वैसी हमारी पर्सनालिटी तथा सोच्च बन जाती है, एक बार जिस सोच में हम ढल गए, दूसरी सोच को समझने में मुश्किल होती है, जो आदते पड़ गयी वे जाती नहीं, अंग्रेजी में कहावत है, ओल्ड हैबिट्स डाई हार्ड. तो हमारी जो सोच एक बार डेवेलोप हो गई, हम उसीके शिकार हो जाते है, एक परिवार में जब महिला से पूछा गया आप हर सब्जी को बहुत ही छोटे छोटे टुकडो में काट कर ही क्यों बनाते है, तो उनका जवाब था मेरी माँ ने सिखाया है, जब उनकी माँ से पूछा गया तो उनका भी यह जवाब था मेरी माँ ने सिखया है, किस्मत से उनकी माताजी भी अभी जिन्दा थी जब उनसे पूछा गया तो जवाब मिला बेटे हम तो गरीब थे हमारे पास fry पेन छोटे होते थे इसलिए हम बहुत ही छोटे टुकड़े कर सब्जी बनाते थे बाकि कोई बात नहीं, हा सब्जी इस तरह जल्दी पकटी थी, स्वाद भी अच्छा आता था, बस और कोई कारण नहीं, आब तो बड़े बड़े बर्तन इजात हो गए है,, सो बड़े तुकडे भी कर सकते है, तो जिंदगी जिसने जैसी समझी वैसी ही है, लेकिन जिंदगी और भी कुछ है, हमारे एपिसोड २ में अगली कड़ी में सुनिए, जानिए और मजे लीजिये.