जिंदगी एक खवाब या पहेली..एपिसोड २.
ऐसे तो जिंदगी क्या है, किसिको नहीं मालूम, सब अपना अपना कैलकुलेशन करते है, अब पहेली है या सहेली है, कुछ पता नहीं, कम से कम हम सांसारिक लोगो को तो पता नहीं है, महत्मा लोग ही इसके बारे कुछ कह सकते है, वैसे जिंदगी मजेदार भी है, बचपन से जवानी खासकर के, जब तक कोई विशेष परेशानी नहीं होती है (कुछ अपवाद जरूर है,) लेकिन सामान्य रूप से ये पीरियड काफी अच्छा माना जाता है, इसिलए बोला जाता है, की जावानी नीद भर सोया, बचपन खेल में खोया, बुडापा देख कर रोया. आजकल शहरो में देशो में हैप्पी इंडेक्स के जरिये पता लगाया जाता है, की ख़ुशी कितनी है सबसे ज्यादा खुश कौन लोग है, रुपया पैसे कमाने वाले, एशो आर्रम की जिंदगी बिताने वाले या फिर साधू सन्यासी या गरीब जो अपनी ही मस्ती में रहता है,. सही मायने में देखे दो हैप्पी कोई नहीं, श्री गुरु नानक देवजी कह गए, नानक दुखिया सब संसार, सो सुखिया जो नाम आधार. एक्चुअली दुनिया बनी ही सुख दुःख से है, कभी ख़ुशी कभी गम का समावेश है, श्री गुरु अर्जुन देवजी कह गए, हरक् सोक का नगर कुए एह, से उबरे से उबरे सो संत सर्र्निया. (करेक्ट शब्द कृपा कर् आदि ग्रन्थ से ढूंढे ) लेकिन अभिप्राय है, पूरा सुखी कोई नहीं, पूरा दुखी भी नहीं, शक्स्पइर ने भी शायद कहा है, सुख दुःख हमारी फीलिंग है, जैसा सोचो वैसा दिखेगा. किसी को धुप पसंद और किसी को न पसंद. इस प्रकार हे न यह अजीब सी पहेली, जिसको सुलझाते सुलझाते उम्र निकल जाती है, बूझता कोई नहीं, पहेली पहेली ही बनी रहती है, करा कराया एक तरफ रह जाता है और जानेवाल सब कुछ छोड़ कर यंहा से जाने कहाँ च्चाला जाता है,, कोई इनसे पूछे जाने चले जाते है, कहाँ? अगले में फिर मिलेंगे. तब तक के लिए हमारी वेब साईट manifoldadvisory.com (global community) ज्वाइन करे, देश विदेश या अन्य सुब्जेक्टेस की जानकारी ले, आप भी हमें शेयर करे अपने ब्यूटीफुल थोघ्ट्स को, हमारे वेब साईट पर पब्लिश होगा. आप अपनी वेब साईट या कुछ आईटी से संम्बधित सलूशन चाहे तो भी हमें कांटेक्ट कर सकते है, बल्क खरीदारी, इवेंट मैनेजमेंट के लिए भी संपक कर सकते है,हम आपको यथा संभव सहयोग करेगे. मोहन वतनानी