एक जिराफ
एक जिराफ जंगले से भटक कर शहर में आ गया, बहुत घबरा गया, क्योकि कोई जानवर दिखे नहीं, केवल डॉग, कैट, व् कुछ बर्ड्स दिखे, न हरे घास के मैदान दिखे न पानी के तालाब ही, यह तो कुछ और है, जंगल तो नहीं, अब कैसे अपने घर को जाया जाये , कुछ समझ नहीं आता है, अचानक एक बड़ी बस निकल कर बस स्टॉप पर रुकी, जिराफ ने गर्दन अन्दर ड्राईवर के पास ले जाकर कुछ अपनी भाषा में इन्क्वारी करना चाही, अब भला ड्राईवर जिअरफ की भाषा कैसे समझे , पहले तो वह जिराफ को देख घबरा गया, फिर संभल कर बोला, ठीक है, लगता है, तुम अपने घर जंगल जाना चाहते हो, एक काम करो पीछे गेट से अन्दर आओ, कंडक्टर तुम्हे चढ़ने में मदद करेगे, हम तुम्हे जंगल में छोड़ देंगे, हलाकि हमारा ये रूट नाह है, पर फिर भी, सब सावरिया उतर जाएगी, तो हम जंगल की और चलेंगे, आप सबसे पीछे सीट पर बैठ जाओ, जिराफ को अन्दर बस में आते देख सभी यात्री घबराये भी और कुश भी हुवे, क्योकी भी को उस बचे जिराफ के लिए सहानभूति थी, और सब उसकी मदद करना चाहते थे, तभी एक आदमी ने ड्राईवर को कहा, ड्राईवर जी, में फारेस्ट विभाग को सुचना देता हु, आप गाडी चलाओ, फारेस्ट वाले आकर इसे ले जायेगे, बेचारा जंगल में जाकर अपने माता पिता और परिवार को देखकर कुश हो जायेगा.